Larsen and Toubro (L&T): दोस्तों भारत की एक कंपनी जो की अयोध्या राम मंदिर बना रही हैं और वह, उसके लिए कोई पैसा भी नहीं ले रहे हैं. लाखों लोग सोशल मीडिया में राम मंदिर के बारे में वीडियो बना रहे हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अभी तक लोगों को उस कंपनी के बारे में नहीं पता है. यह कंपनी 50 से भी ज्यादा देशो में अपने काम करती है और अगर इसके रेवेन्यू की बात करें तो वह 24 बिलीयन डॉलर से भी ज्यादा है. अगर भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनना है, तो यह कंपनी भारत के लिए सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन कर रही है. उस कंपनी का नाम है – Larsen & Toubro (L&T)
दोस्तों Larsen & Toubro ने विश्व की सबसे बड़ी स्टेचू , स्टेचू ऑफ यूनिटी को भी बनाया है, जिसकी हाइट करीब 597 फिट (182m) है. उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम नरेंद्र मोदी स्टेडियम बनाया है जिसमें एक साथ 132000 लोग बैठ सकते हैं. इसी के साथ में अगर बात करें तो वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई एयरपोर्ट, दिल्ली एयरपोर्ट, मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक और ऐसे सैकड़ो प्रोजेक्ट्स है जो कि इसी कंपनी के अंदर बने हुए हैं.
L&T कंस्ट्रक्शन से लेकर न्यूक्लियर पावर और फाइनेंस इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी से लेकर डिफेंस जैसे कई सेक्टर में अपने नए रेकॉर्ड्स कायम कर रही है. इसलिए हमने सोचा कि क्यों न लोगों को इस कंपनी के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि उन्हें कम्पनी के बारे में पता चले.
Larsen and Toubro (L&T) History
1934 में डेनमार्क की एक कंपनी की तरफ से क्रिश्चियन टूब्रो नाम का कंस्ट्रक्शन इंजीनियर को इंडिया भेजा जाता है. जिनको केरल की एक सीमेंट कंपनी में काम करना होता है. बाद में वहां पर लार्सन नाम के केमिकल इंजीनियर को भी भेजा जाता है. लार्सन एंड टौब्रो दोनों ही कॉलेज के टाइम से फ्रेंड्स थे. अब इंडिया आने के बाद दोनों साथ मिलकर रहने लगे और उन्होंने 1938 में एक कंपनी स्टार्ट की और आज इस कंपनी का नाम है – L&T और उसी कंपनी के अंदर आज Ram Mandir Ayodhya बन रहा है.
यह दोनों शुरुआती वक्त में डेनमार्क से डेरी इक्विपमेंट को इंपोर्ट करके इंडिया में सेल किया करते थे. उसके बाद 1940 में जर्मनी ने डेनमार्क को कब्जा लिया. इसकी वजह से डेनमार्क से इंपोर्ट बंद हो गए. इसके बाद इन्होंने इंडिया में एक छोटा सा वर्कशॉप शुरू किया और यही इंडिया में ही वह डेरी इक्विपमेंट बनाने लगे. उनका इंडिया में अच्छा खासा नाम बन गया था, क्योंकि वह क्वालिटी प्रोडक्ट देते थे और जब वर्ल्ड वॉर का टाइम आया तो उन्होंने जहाज को रिपेयर करने और उनके फैब्रिकेशंस के काम को भी शुरू कर दिया था.
इसी के साथ-साथ 1944 में यह कंपनी कंस्ट्रक्शन और कांट्रैक्ट्स नाम के साथ शुरुआत करती है. अब धीरे-धीरे इस कंपनी को इंडिया के अलावा दूसरे देशों से भी काम मिलना शुरू हो गया था. 1945 में इस कंपनी ने USA की कैटरपिलर ट्रैक्टर कंपनी के साथ में एक डील साइन कर ली थी. इस डील के अकॉर्डिंग इनको कैटरपिलर ट्रैक्टर्स में लगने वाले इक्विपमेंट मैन्युफैक्चर करके उनको प्रोवाइड करने थे. इसके लिए उनको और ज्यादा पैसे की जरूरत पड़ रही थी, इसीलिए फिर उन्हें एक्सटर्नल इन्वेस्टर से मदद लेनी पड़ी थी.
फिर 1947 में जब इंडिया को आजादी मिली, तब उनको इंडिया में और भी बड़ी उपलब्धि मिली. उन्होंने कोलकाता, चेन्नई और नई दिल्ली में भी अपने ऑफिस स्टार्ट कर दिए थे, जिससे उनकी रेपुटेशन और ज्यादा बढ़ने लगी थी. उन्होंने 1948 में मुंबई के पवई इलाके में 55 एकड़ की एक जंगल और दलदल वाली जमीन खरीद ली थी और उसे उन्होंने एक बहुत ही अच्छे मैन्युफैक्चरिंग प्लेस में कन्वर्ट कर दिया. आज मुंबई पर इसी जगह पर इस कंपनी का हेड ऑफिस है.
यह कंपनी फिर आगे 1950 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई. 1955 में जब प्राइम मिनिस्टर जवाहरलाल नेहरू गुजरात के अमूल प्लांट की शुरुआत कर रहे थे, तो उन्होंने इस कंपनी को भी न्योता भेजा था, क्यों कि इस प्लांट की इक्विपमेंट का काम भी इसी कंपनी ने किया था.
इस कंपनी में करीब 3 लाख से ज्यादा लोग काम करते है और इस कंपनी के पास 118 सहायक कंपनिया है. इस कंपनी ने क्वालिटी के साथ समय पर काम कम्पलीट करके बहुत नाम कमाया है. जिसकी वजह से आज इन्हे राम मंदिर का काम करने का सौभाग्य मिला.
क्या राम मंदिर अयोध्या बनाने वाली कंपनी ने फ्री में काम किया है?
जी हां, लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) नाम की विश्वस्तरीय कंपनी ने अयोध्या में मुफ्त में राम मंदिर का निर्माण कर रही है। उन्होंने 2020 में मंदिर के डिजाइन और निर्माण के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की थी और उनके इस प्रस्ताव को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने स्वीकार कर लिया।
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