Indian Education System: क्या आप लोग भी मानते हैं, कि देश में बढ़ती बेरोजगारी का कारण रोजगार का ना होना है? वर्ल्ड इकोनामिक फॉर्म के अनुसार भारत में 4 MBA में से एक और पांच इंजीनियरों में से एक और 10 ग्रैजुएट्स में से एक बच्चा नौकरी में जाने लायक है. जब कि यह बहुत आश्चर्य की बात है क्यों की हमारा देश कभी विश्वगुरु कहलाता था. इसके लिए एक कंपनी जो कि स्किल एसेसमेंट कंपनी मानी जाती है – एक्सपायर माइंड। एस्पायरिंग माइंड की रिपोर्ट के हिसाब से, 80% भारतीय इंजीनियर बेरोजगार हैं क्यों कि इंजीनियरों के पास जरुरी योग्यताओं का अभाव है।
एक बहुत सी अजीब घटना है, क्योंकि जब यही भारतीय अमेरिका जाते हैं और वहां पढ़कर नौकरी करते है तो वही पर वह सिलिकॉन वैली की कंपनियों के सीईओ बन जाते हैं. आपने पिछले कुछ दशकों में विदेशो में रहने वाले भारतीय लोगों को देखा होगा, जोकि वहां पर कई कंपनियों के सीईओ बने हुए हैं.
तो आखिरकार Indian Education System और American Education System में ऐसा क्या अंतर आ जाता है, जिसे हमें सुधारने की जरूरत है?
Indian Education System
इसे और ज्यादा जानने के लिए 2019 में एक्सपायरिंग माइंड द्वारा किए गए एक सर्वे के हिसाब से, 36000 आईटी इंजीनियर का मूल्यांकन किया गया था. उन्हें एक सॉफ्टवेयर को डेवलपमेंट टेस्ट दिया गया और इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि 34000 से ज्यादा इंजीनियर ज्ञान की कमी के कारण सफल नहीं हुए बल्कि इसी तरह से हमारे लोग वास्तविक जीवन की परेशानियो को डील नहीं कर पाते हैं.
प्रतिभागियों में समस्या समाधान और निर्णय लेने की क्षमता या सॉफ्टस्किल जैसी कमियो जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय छात्र अपनी शिक्षा कुछ गलत तरीके से कर रहे हैं या इसमें हमारे कॉलेज या संस्थाओं की गलती है.
अमेरिका में एक अलग तरीके की Education System काम करती है, जहां पर आप जिस भी सब्जेक्ट को पसंद करते हैं आप उसे सब्जेक्ट को ले सकते हैं. चलिए जानते है, अगर आप कॉमर्स के छात्र हैं और आपको विज्ञान में इंटरेस्ट है तो आप विज्ञान को भी पढ़ सकते हैं, पर हमारे देश में अगर एक कॉमर्स का बंदा है, तो उसको विज्ञान में जाने की बिल्कुल अनुमति नहीं दी जाती है क्यों की हमारे यहाँ पर प्राथमिकता डिग्री को दी जाती है और इस चीज के लिए सरकार अब कदम उठा रही है. नई शिक्षा नीति के द्वारा अब देखना यह है, की यह कितने प्रभावशाली तरीके से लागू हो पायेगा।
“वास्तविक जीवन में सॉफ्ट स्किल की बहुत ज्यादा जरूरत है” और इस बात को टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी ने भी बताया है और उन्होंने कहा कि भारत के 94% से ज्यादा ग्रैजुएट्स को सॉफ्ट स्किल की कमी के कारण भारत की विश्व की प्रमुख कंपनियों में काम पर नहीं रखा जाता है.
AI के उभरते ही नौकरियां की भी बाजार में काम होने लगी है और जो नौकरियां बची है, उसमें अब बहुत संचार कौशल, समस्या सुधार जैसी नेतृत्व क्षमता वाले लोगों को ही प्रायोरिटी दी जा रही है और इसमें सॉफ्ट स्किल का होना बहुत जरूरी है. अब Education System को और भी एडवांस्ड करने लायक है.
नौकरी इस समय डेवलपर्स और मशीन लर्निंग वाले लोगों पर केंद्रित हो गई है, इन भूमिकाओ पर आगे आने वाले वक्त में बहुत ज्यादा डिमांड होने वाली है और इसके लिए कंपनियां अब डाटा संचालित निर्णय लेना ही पसंद करती है,जिसके लिए उन्हें डाटा एनालिस्ट की जरूरत पड़ रही है. भारत में बहुत कम जगह पर यह डिग्री होने के कारण उभरते हुए इस नौकरी के मार्केट को लोग खोते जा रहे हैं.
मेरा तो यही सन्देश है कि हम सबको फालतू में ट्विटर हैशटैग चलाने की बजाय कुछ पढ़ने या नए तरीके की कोर्स सीखने पर अपने आप का फोकस करना चाहिए और हमें भविष्य की जरूरत को देखते हुए अपने आप को तैयार करना चाहिए। कोशिश यह करनी चाहिए, जॉब पाने के जूनून के साथ-साथ अगर हम अपना बिजनेस कर सके, तो हमारे लिए और हमारे देश के लिए भी हम एक क्रांति ला सकते हैं.
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