Plasma Loops: सोमवार को एक शानदार सौर ज्वाला ने अपना कॉस्मिक फ्यूरी प्रकट किया, जिससे एक विशाल लेकिन रहस्यमय रूप से सूक्ष्म प्लाज्मा लूप्स का जन्म हुआ था. यह प्लाज्मा लूप्स हमारे सूर्य की सतह के ऊपर बन रहे थे. नयी फोटोज में साफ़ दिख रहा है, कि यह सौर तूफान की भूतिया गूँज के समान इन खगोलीय संरचनाओं ने हमारी कल्पना पर कब्जा कर लिया है. ये बहुत ही सुन्दर लग रही थी परन्तु वैज्ञानिक इस सटीक प्रक्रिया के बारे में जानने के लिए उलझन में हैं, जो कि इन आकाशीय अवशेषों को अस्तित्व में ढालती है. यह सौर्य दृश्य रहस्यमय बना हुआ है, जो हमें ब्रह्मांड के रहस्यों से आश्चर्यचकित कर रहा है.
Plasma loops from solar explosion
सूर्य से Solar Flares फूटने से ठीक पहले आयनित गैस के विशाल लूप, विशाल घोड़े की नाल की तरह, सुंदर ढंग से सूर्य की सतह से ऊपर चढ़ रहे हैं. ये खूबसूरत कर देने वाले Plasma Loops जिन्हें प्रमुखता के लिए जाना जाता है. यह गहरे रंग के सनस्पॉट की चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं से जुड़े होते हैं. जैसे ही सौर ज्वालाएँ फूटती हैं, ये चुंबकीय कनेक्शन एक इलास्टिक बैंड की तरह टूट जाते हैं. यह कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के रूप में लूप किए गए प्लाज्मा को अंतरिक्ष में भेज देते हैं.
हाल ही में एक खगोलीय दृश्य में, एक तारकीय विस्फोट से एक सीएमई उत्पन्न हुई थी. इसकी शुरुआत 1 फरवरी को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को हल्के से छूने की भविष्यवाणी की गई थी. हालांकि यह पूरी तरह से हमारे सामने से गुजर गया, जैसा कि Spaceweather.com द्वारा रिपोर्ट किया गया है. चुंबकीय शक्तियों और घूमते प्लाज्मा के एक खगोलीय ढांचे का निर्माण करता है जो हमारे ग्रह को Solar Storms के आलिंगन से सुरक्षित रखता है.
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सोमवार की शानदार एम-क्लास चमक के तुरंत बाद एस्ट्रोफोटोग्राफर एडुआर्डो शाबर्गर पौपेउ ने सीएमई के विस्फोट स्थल पर सौर सतह के ठीक ऊपर उड़ते हुए ईथर Plasma Loops का एक बेहतरीन कर देने वाला स्नैपशॉट कैप्चर किया था. यह लूप ब्रह्मांड के लिए एक पहेली हैं जोकि सैद्धांतिक रूप से उस क्षेत्र के सभी प्लाज्मा को सीएमई के रूप में अंतरिक्ष में फेंक दिया जाना चाहिए था.
नासा की कॉस्मिक प्लेबुक के अनुसार, हाइड्रोजन प्रकाश की लाल तरंग दैर्ध्य को बढ़ाने वाले एक विशेष फिल्टर के माध्यम से सूर्य को देखा जाता है, जिसे एच-अल्फा के रूप में जाना जाता है.
ये सभी ब्रह्मांडीय घटनाएं जिन्हें एस्ट्रोनॉमर्स पीएफएल के रूप में जानते हैं, अक्सर ही एम-क्लास और एक्स-क्लास फ्लेयर्स के बाद अपनी भव्य उपस्थिति दर्ज कराती हैं. यह आश्चर्यजनक ऊंचाइयों तक पहुंचती हैं और संभवतः सूर्य की सतह से लगभग 30,000 मील (50,000 किलोमीटर) ऊपर तक पहुंच जाती है, ऐसा 2005 के एक अध्ययन से पता चलता है. हाल के लूपों की सटीक ऊंचाई एक रहस्य बनी हुई है.
भले ही शोधकर्ताओं ने इस विषय पर व्यापक रूप से विचार किया है, फिर भी पीएफएल का गठन अभी भी रहस्य का स्पर्श बरकरार रखता है. प्रारंभ में यह सोचा जाता था कि प्लाज्मा सौर सतह से निकलता है, जो एक स्नैप से पलटाव के बाद चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को भर देता है. पर हाल की फोटोज देखते हुए बिलकुल भी ऐसा नहीं लगता है.