Ford का भारत छोड़ना: Ford Cars कंपनी का भारत छोड़कर जाना कोई नई बात नहीं थी, इसके पहले भी काफी कंपनियां भारत छोड़कर जा चुकी है. जिसमें 2006 में ओपेल ने भारत को अलविदा कहा था. उसके बाद 2017 में शेवरले, 2019 में फिएट और 2020 में मित्सुबिशी और कुछ ही महीनो पहले फोर्ड ने भी इस देश से अपने सारे निर्माण कार्यों के बंद कर दिया था.
अब एक बार फिर से फोर्ड ने कमबैक करने की सोची है. इस आटोमोटिव दिग्गज का भारत से जाना एक अस्थाई समय के लिए ही था. अब आपको बता दे कि यह कोई अफवाह नहीं है. ऐसे ठोस सबूत मिलते हैं कि फोर्ड ने भारतीय बाजार के लिए नई फोर्ड एंडेवर के लिए पेटेंट फाइलिंग की है.
इसके सबूत सोशल मीडिया और ऑनलाइन फॉर्म्स में मौजूद है. इसके अलावा फोर्ड मोटर कंपनी ने हाल ही में ही अपने चेन्नई प्लांट पर कई नौकरियां पोस्ट की है. जिसमें वह इंजीनियरिंग डिपार्टमेंटऔर अकाउंट डिपार्टमेंट की खाली सीटों को भरने वाले हैं.
ऑटोकार इंडिया ने भी कई अंतरिम सूत्रों के माध्यम से इस बात की पुष्टि की है, कि इस साल Ford Endeavour को आप भारतीय सड़कों पर वापस देख सकते हैं, जो की एक बहुत इंपॉर्टेंट वापसी होने वाली है.
फोर्ड की वापसी से सबसे बड़ा दिलचस्प सवाल यह उठता है, कि उन्होंने शुरुआत में भारत क्यों छोड़ा और क्या चीज है जो उन्हें वापस लेकर आ रही है. उसके अतिरिक्त लोगों में इस बात की भी चर्चा है कि वह किन कार के साथ में यहां पर आ रही है? क्या वह लोगों के बीच में एंडेवर को ही प्राइम मेंबर बना कर लाने वाली है.
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Ford ने भारत को क्यों छोड़ा
भारतीय बाजार में Ford के लिए संघर्ष कोई नई बात नहीं है. फोर्ड अपनी अंदरूनी समस्या से ही झूझ रहा था जिसकी वजह से वह कार अपग्रेड में देरी कर रहा था और लागत में कटौती की गलतियां भी उनसे बहुत हो रही थी. जबकि उनकी एसयूवी की मांगे बढ़ती जा रही थी, फिर भी फोर्ड अपना ध्यान छोटी कारों पर बनाए जा रहा था. जिससे यह बाजार के रुझान से उल्टा साबित हो गया.
इसके बावजूद उन्होंने इकोस्पोर्ट और एंडेवर जैसे मॉडलों से बहुत सी सफलता पाई है. पर वह टाइम से अपग्रेड नहीं कर पाए थे और इसी के कारण Ford की 2020 में बिक्री 66500 कारो तक पहुंच गई थी पर यह फिर भी काफी कार कंपनियों से ठीक है.
Ford भारत में वापस क्यों आ रही है?
इसकी लोकप्रियता – फोर्ड के भारत छोड़कर जाने के बावजूद भी इसकी कार जैसे कि एंडेवर और इकोस्पोर्ट ने भारत की मार्केट में अपनी लोकप्रियता बरकरार रखी है. जिससे वह भारतीय उपभोक्ताओं के बीच में इस निरंतर मांग को दर्शाती है.
सानंद प्लांट – उनके चेन्नई में स्थित प्लांट में अब ऑपरेटिंग एक्सपेंस कम हो चुका है, जिसके कारण अब फोर्ड पर दबाव भी काम है और वह इसी लक्ष्य के साथ में वापसी कर सकता है.
वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन का डिमांड – इलेक्ट्रिक वाहन की कम मांग के कारण अमेरिका में फोर्ड घाटे का सामना कर रही है, जिसके कारण फोर्ड भारत में एक अवसर की तलाश में है, जहां पर अभी भी EV सेगमेंट में टाटा का कब्जा बना हुआ है और वह अपने EV सेगमेंट में सुधार करने के साथ ही नुकसान से उबरने के बारे में सोच रही है.
भारत में फोर्ड को क्या लेकर आना चाहिए?
उससे पहले मैं अपनी राय बता देता हु, मुझे तो एंडेवर कार बहुत पसंद है. प्यूमा और कुगा जैसे यूरोपीय मॉडलों के साथ फोर्ड यहां पर भारतीय मार्केट में अच्छी खासी वृद्धि कर सकते हैं क्योंकि यह कंपैक्ट और मध्यम आकार की एसयूवी है, जो अपने-अपनी श्रेणियां में दूसरी कंपनियों की कार को प्रतिस्पर्धा दे सकती हैं. एंडेवर के साथ इन मॉडलों के लाइनअप लाने से फोर्ड भारत में रणनीतिक रूप से तैयार हो गया है.
वह अब नई तरीके से मार्केटिंग और डिजाइन के साथ में अपने ब्रैंड को जोर-जोर से भारत में फैलने की कोशिश करेगा. अंत में फोर्ड के लिए बहुत जरूरी है, कि वह अपनी पिछली गलतियों से सीखे और वर्तमान बाजार की गतिशीलता के हिसाब से अपने प्रोडक्ट को पेश करें क्योंकि अब भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बाजार में काफी कंपनियां भी आ चुकी है.
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